दिल को समझाती हूँ मैं...

दिल को समझाती हूँ मैं...


दिल को समझाती हूँ मैं...

थोड़ा इत्मीनान रखो,
वो दिन भी हुज़ूर आएगा,

खुशनुमा बहेगी हवा
हर तरफ़,
तुम झूम उठोगे
ऐसा सुरूर छाएगा,

ऐसा झिलमिलाएगा
खुशी से हर इक पल,
कि महफिल की शमा का
नूर भी शरमाएगा,

ये शिद्दत से भरी
ख्वाहिशों का असर है,
कभी न कभी देखना
रंग ज़रूर लाएगा...

~ लेखनी ~

अनूषा की