बसंत की सफाई में मुरझाया - गूगल रीडर को निगला गूगल

बसंत की सफाई में मुरझाया - गूगल रीडर को निगला गूगल

बसंत की सफाई में मुरझाया - गूगल रीडर को निगला गूगल

वेब उत्पादों की छंटनी की चपेट में रीडर

गूगल भी अजगर की तरह अपने ही रचे उत्पाद निगल जाता है. मार्च १४ को घोषित किया गया है, कि आगामी कुछ महीनों में गूगल अपने कुछ कम उपयोग में आने वाले वेब उत्पादों की छटनी (spring cleaning) कर रहा है, जिनमें से एक है, गूगल रीडर.

क्या करता है गूगल रीडर?

गूगल रीडर एक RSS फीड रीडर है, जो किसी भी वेबसाइट या ब्लॉग पर आई नई सामग्री की सूचना आपको समाचार की तरह दे सकता है. आप अलग अलग वेबसाइट्‌स पर बार-बार जाए बिना ही, एक ही स्थान पर अपने पसंदीदा चिट्ठों पर की गई पोस्ट्‌स को संक्षिप्त में (या, अगर लेखक ने अनुमति दी हो तो पूरा भी) देख सकते हैं.

क्या हो रहा है इसके बंद होने की घोषणा का प्रभाव?

हालांकि ये दावा किया जा रहा है, कि गूगल रीडर के उपयोगकर्ता काफ़ी कम थे, पर इसके बंद होने की घोषणा से मचे बवाल से होने वाले व्यापक प्रभाव का अनुमान लगाया जा सकता है.

गूगल रीडर पुराना व गूगल का होने के कारण विश्वसनीय रीडर है. अधिकते दूसरे RSS रीडर्‌स, गूगल रीडर से synchronization या समक्रमण प्रदान करते आए हैं (जिनका भी काफी नुकसान होगा). अतएव, सीधे सीधे प्रयोग ना करने वाले ऐसे कई उपयोगकर्ता हैं, जिन्हें अब सारी पुरानी पसंदीदा फीड्‌स को किसी नए रीडर में आयात करने की जुगाड़ लगानी होगी.

दूसरी तरफ, वेबसाइट या ब्लॉग रचयिता भी अपने गूगल रीडर फॉलोअर खो देंगे. हो सकता है, दूसरे किसी फीड रीडर को ये फॉलोअर अपनाएं ही ना, या अपनाएं और सारे पुराने फीड्‌स न जोड़ें.

क्या गूगल की गुड विल कम होगी?

गूगल आपको मुफ्त में कोई सेवा उपलब्ध कराता है, और, वैध रूप से कभी भी वो सेवा बंद कर सकता है. लेकिन, बंद होती सेवाएं प्रयोगकर्ता में एक अविश्वास की भावना जाग्रत करती हैं. कौन जाने अगली बार कौन सा गूगल-जना शिकार हो? कहीं अगली बारी ब्लॉगर की तो नहीं? गूगल प्लस को कई दिग्गज ब्लॉग पोस्ट करने हेतु उपयोग करना शुरु कर चुके हैं. और इससे पहले भी गूगल ने गूगल प्लस को बड़ावा देने के लिये ही फ्रेंड कनेक्ट सेवा बंद कर दी थी.

तो अलविदा रीडर… उठावना जुलाई १, २०१३

खैर, जो भी हो, वस्तुस्थिति ये है कि गूगल रीडर को अलविदा कहने का समय आ गया है. जुलाई १, २०१३ तक अपने फीड्‌स का बोरिया बिस्तर बाँध लें.

चल भई पढ़ाकू मन, हम कहीं और चलें.

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